आज मैं बात करना चाहता हूँ पलायन के बारे में आज हर कोई पलायन के बारे में जानना चाहता है पर वाकई मैं क्या इतना बड़ा मुद्दा है पलायन | वो पहाड़ी छेत्रो में जहा जीवन यापन करना हर किसी की बस की बात नहीं होती हर कोई शहरो में रहकर वहा की चका चोध में रहकर अपनी पूरी जिन्दगी बिताना चाहता है और बात करता है पलायन की |
अगर आपको पलायन को समझना है तो आपको उस परिपेक्ष में रहकर उस जगह को सही तरीके से जानना होगा तभी आप सही चीजो का चुनाव कर सकते है आज मुद्दा बहुत बड़ा है ये पलायन |
हर कोई अपनी पुस्तेनी जमीनों को छोड़कर या उस जमीनों को बेचकर पहाड़ो से जा रहे है या जाने की तेयारी कर रहे है और हम लोग कहते है पहाड़ जिन्दा है |
आज ऐसा हाल है उत्तराखंड राज्य का जिसमे आम लोगो की बातो पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है उन पर क्या गुजर रही है | केसे वह अपना जीवन यापन कर रहे है इसका असर उन चुनी हुई सरकारों पर बिलकुल नहीं दिख रहा है एसा नहीं है की पुरानी सरकारों ने कुछ किया होगा केवल अपनी सत्ता के चक्कर में इन्होने उत्तराखंड को न बनने दिया न बनाने की कोशिस की |
हर कोई पलायन नहीं करना चाहता मतलब अपना पुस्तेनी घर छोड़कर कोई नहीं जाना चाहता पर यही सरकारे आज पलायन को पडावा दे रही है जिससे इनको फायदा पहुचे और उत्तराखंड से बाहरी लोगो के भरोसे रह जाये और इन सरकारों को मनमानी पैसा मिल जाये |
आज इसी का कारण है की हर बाहरी उत्तराखंड मैं आकार अपनी मनमानी कर रहा है और उत्तराखंड के लोगो के साथ बुरा बरताव हो रहा है आज उत्तराखंड की बहु बेटिया सुरक्षित नहीं है
उत्तराखंड जहा होना चाहिय था २४ सालो मैं आज उससे भी निचे क्रम मैं जा रहा है
आज नेता अपनी सैलरी बढ़ाने के लिए कोई सा भी बिल पास कर लेते है परन्तु जनता के लिए क्या जरुरी है इसके बारे मैं उनको रत्ती भर फरक नहीं पड़ता
न भू कानून लागु हुआ न पलायन पर कोई कानून बना जो UTTARAKHAND के लोगो लिए जरुरी था
ये उत्तराखंड के लोग अभी भी नहीं जान पा रहे है की आप पार्टी को देखकर वोट नहीं देना है केवल यह देखकर वोट देना चाहिय की उसकी उत्तराखंड राज्य के प्रति क्या भूमिका रही |
आज उत्तराखंड राज्य पर प्रति ब्यक्ति ८५००० रूपये कर्ज है सरकारे उस कर्जे को कम करने के बजाये अपनी सैलरी बढाने मैं लगी है
क्या वाकई नेता बनने में खोट है और आज समय बदल चूका है पर समय के बदल जाने बार उत्तराखंड ही नहीं बदल पाया |
उत्तराखंड को अगर बदला जा सकता है तो केवल जमींन से जुड़कर न की देहरादून में AC की हवा के निचे बैठकर नहीं आज यही तो हो रहा है सत्ता उनको दी जा रही है जिनको पता ही नहीं है की उत्तराखंड की सस्कृति क्या है और उनको वहां की गड्वाली और कुमौनी भासा का ज्ञान भी नहीं है येसो को अगर सत्ता दी जाये तो वह उत्तराखंड का क्या हाल कर सकते है ये अभी तक देखा जा सकता है
केंद्र में बेढे लोग उत्तराखंड को चलाने का काम कर रहे है ये हमारी आखो के सामने है दिख भी रहा है पर कोई बोलने को तेयार नहीं है पर आखिर कब तक जब उत्तराखंड बिक जायेगा उसका इंतजार किया जा रहा है
आज सरकारे अपनी फायेदे के लिए डेम बनाती जा रही है और उत्तराखंड को क्या मिल रहा है वो है सिर्फ पलायन |
ये सरकारे नहीं चाहती की यहाँ कोई विकास हो ये केवल यहाँ ये फायदा लेना चाहती है और कुछ नहीं
पर आएगा जब सब्र का बांध टूटेगा और फिर प्रलय आएगी और ये दिख भी रहा है आप अगर प्रकति के साथ छेद छाड़ करेंगे तो वेसा आपको मिलेगा भी यह और भी बयावाह होगा यह केवल चेतावनी है प्रक्रति की सुधर जाओ पर मनुष्य कहा सुधरने वाला ये अपनी मनमानी करता रहेगा और अपने लिए खुद खड्डा करेगा |
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